Tenali Raman Stories in hindi
2 : महान पुस्तक – Tenali Raman Stories In Hindi
एक महान विद्वान दरबार में उपस्थित हुआ। उसने सभी विजयनगर वासी को ललकारते हुए अहंकार से कहा की , पुरे विश्व में कोई मेरे जितना कोई बुद्धिमान नहीं हैं। अगर किसी दरबारी की इच्छा हैं की मेरे साथ किसी भी प्रत्योगिता में खरा उतर सके तो में चुनौती के लिए तैयार हु। उसके अहंकार को सच्चा मान कर सभी डर गए और किसी ने भी वाद-विवाद करने का साहस नहीं किया।अंत में सभी प्रजाजन इसका समाधान ढूंढने के लिए पंडित तेनालीराम के पास जा पहुंचे। तेनाली ने सभी बात ध्यान ने सुनी , साथ ही दरबार में जा कर घमंडी का चुनाव स्वीकार करते हुए दिन भी निश्चित कर लिया।
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निश्चित किये हुए दिन पर तेनाली एक विद्वान पंडित के रूप में राजदरबार पंहुचा। तेनाली ने अपने हाथ में एक गट्ठर ले रखा था जो की दिखने में भरी पुस्तको के सामान लग रहा था। उसी समय वो घमंडी भी राजदरबार में उपस्थित हुआ और तेनालीराम के सामने बैठ गया। तेनालीराम ने अपने राजा कृष्णदेवराय को नमस्कार किया , अपने साथ लाए हुए वह गट्ठर को दोनों के बिच रख दिया।
इसी के साथ दोनों ही विवाद के लिए पूरी तरह से तैयार थे। राजा को पहले से ज्ञात था की तेनाली के मन में पहेल से ही बैठा बिठाया हुई योजना होगी , इस लिए महाराज निश्चिंत थे। इसी के साथ राजा ने वाद-विवाद प्रारंभ करने लिए दोनों प्रत्योगी को अनुमति दी। तेनालीराम पहले उठे , उस प्रत्योगी से कहा विद्वान आपके कई सरे चर्चे मेने सुने हैं। आप जैसे विद्वान पुरुष के लिए मैं एक पुस्तक लाया हु जिसके पर हम विवाद करेंगे।
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विद्वान ने विनंती करते हुए तेनालीराम से पुस्तक का नाम जानने की चेस्टा की। तेनालीराम ने पुस्तक का नाम बताया “तिलक्षता महिषा बंधन” उस विद्वान ने अपने जीवन ने इसके पहले इस पुस्तक का नाम तक नहीं सुना था न की पढ़ा था। विद्वान बड़ी ही दुविधा में पड गया की, कभी न पढ़ी किताब के बारे में विवाद करू तो कैसे करू !!
फिर भी वह साहस कर बोला , यह किताब मैंने पढ़ी हैं बहुत बहरीन हैं। इस पर चर्चा करने का मजा आने वाला हैं। परन्तु मेरी यह गुज़ारिस हैं की , आज यह वाद-विवाद रोक दिया जाए। में कुछ दिन का समय चाहता हु , क्यों की इसकी महत्व बाते में भूल चूका हु। उस विद्वान ने राजा से विनंती की , कल प्रातःकाल को यह विवाद का आयोजन किया जाए यह मेरी गुजारिस हैं।
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