7 : सिमा की चौकसी – Tenali raman stories in hindi
7 : सिमा की चौकसी – Tenali raman stories in hindi
सिमा की चौकसी : विजय नगर में पिछले कई दिनों से दुर्घटनाएं घट रही थी। इस दुर्घटनाओं के घटने के कारण राजा कृष्णदेव राय काफी दिनों से परेशान थे। इस समस्या का निवारण निकालने के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ मंत्री परिषद बुलाई और इन घटना को कैसे रोका जाए इसका मंतव्य सबसे लिया। दुश्मन देश के गुप्तचर भी यही कार्य कर रहे थे।
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इकट्ठे किए गए मंत्री में से एक मंत्री का सुझाव था कि हमें नम्रता से नहीं परंतु शक्ति से काम लेना चाहिए। विजय नगर के सेनापति का यह सुझाव था कि , अपनी सीमा के सुरक्षा हेतु सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई। राजा ने इस सुझाव को सुनकर तेनालीराम के सामने देखा। तेनालीराम ने अपना सुझाव देते हुए कहा कि मेरे हिसाब से यह बेहतर होगा कि हम अपनी सीमा के बाहर एक लंबी और बड़ी मजबूत दीवार बना दे।तेनालीराम का यह विचार मंत्री ने अस्वीकार किया , फिर भी राजा कृष्णदेव राय को तेनालीराम पर पूरा भरोसा था इसलिए तेनालीराम के सुझाव को माननीय रखा गया।
यह आदेश दिया कि , हमारी सीमा पर एक लंबी मजबूत सी दीवार बनाई जाए और यह कार्य मंत्रीजी की निगरानी में होगा। और कार्य पूरा करने का भार तिनाली को 6 महीने की मुद्दत देकर सपा गया। दो महीने बीतने पर भी दीवार का काम अटका हुआ था किसी ने यह बात राजा को बताई। राजा ने तुरंत ही तेनालीराम को भरी सभा में उपस्थित किया मंत्री , सभी प्रजा जन राज दरबार में हाजिर थे।राजा ने तेमा तेनाली से पूछा दीवार का काम किस कारण अटका हुआ है ?
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महाराज मांगते हुए तेनाली ने कहा महाराज दीवार के बीच में एक बड़ा सा पहाड़ आ गया है पहले में उसे हटवाने का काम कर रहा हूं। राजा ने अचंभित होकर तेनाली से कहा पहाड़ तो हमारी सीमा पर नहीं है। मौके का फायदा उठाकर मंत्री जी बोले महाराज तेनाली बावरा हो गया है। तेनाली मंत्री के यहां कठोर शब्द सुनकर भी चुप रहे उन्होंने सजदा से ताली बजाई तेनाली के ताली बजाने के बाद थोड़ी देर में सैनिकों से गिरे 20 व्यक्ति राजा कृष्णदेव राय के सामने उपस्थित हो गए। राजा ने तेनाली से पूछा यह सब कौन है ?
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